27 August 2022

.₹300

 राकेश को आज फिर नौकरी ढूंढने की कुल बुला हट उठी और वह जिला पुस्तकालय से निकल   पड़ा  यूं तो  राकेश 5 महीने से दर-दर की ठोकरें खा रहा था नौकरी के लिए पर सफलता तो जैसे उससे मुंह मोड़े हुए थे.  राकेश  स्नातकोत्तर हो चुका था परंतु दुनियादारी के स्कूल में वह अभी भी नर्सरी में ही था.https://www.blogger.com/blog/post/edit/9128079823692935031/6229286071779126794

 राकेश को पता ही नहीं था कि उसे जीवन में करना क्या है करीब 7 सालों से सरकारी नौकरी की तैयारी करने पर जब उसे सफलता नहीं मिलती थी कि तो अब उसने निजी काम की तलाश शुरू की.

 आज राकेश किसी नौकरी देने वाली संस्था के पास पहुंचा राकेश डरा सहमा अंदर गया संस्था के कर्मचारियों ने राकेश को नौकरी का आश्वासन तो दे दिया इसके साथ ही ₹300 की फीस भी देने के लिए कहा और इतना ही नहीं उसे अपने पहले वेतन का 40 परसेंट भी देने को कहा गया.

राकेश को तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था राकेश ने ₹300 दे दिए और संस्था की दूसरी शर्त  को भी मान लिया राकेश बाहर  आया तो राकेश के सारे विचार शांत हो गए थे जो  जो कार्य एक योगी अपना सारा जीवन लगाकर करता है राकेश को  यह विचार बंद करने के लिए ₹300 की कीमत चुकानी पड़ी  आज रात राकेश अपनी नौकरी के बारे में कम ₹300 के बारे में ज्यादा सोच रहा था

           

17 April 2022

जाग गया

         घर से जल्दी जल्दी निकल की प्रेमा अंकल ने रोक  लिया  रेहु साइकिल की चाबी कहाँ   गई, रोज तो साइकिल  में लगी रहती है रह आज रेहु चाबी निकलाकर ऊपर ले गया था परन्तु परीक्षा के लिएदेर  होता देख वह मोटरसाइकिल से चला गया 
सिग्नल पर किसी ने लिफ्ट मांगी तो ऐसा लगा जैसे लिफ्ट नहीं मांग रहा धक्का देने की कोशिश रहा था रेहु ने लिफ्ट तो क्या देने थी क्रोध से और देखा।
दुकान से तीन पेन लिए और दुकानदार     की तंज कसने वाली बात भी सुनी।
ज्यादा कुछ ना बोलना  रेहु परीक्षा देने निकले गया समय अबी कफी बच्चा था परन्तु रेहु तो हमेशा  की तरह  परीक्षा के भय में ही रहता था,
 आज कॉलेज के गेट पर किसी ने आईडी कार्ड भी चेक नहीं किया रेहु खुश  था की चलो आईडी चेक करवाने का समय बच गया जल्दी से अपने मोटरसाइकिल स्टैंड पर लगा समय अबी दोपहर 1:30 बजे। रेहु के हिसब से  परीक्षा 2:30 बजे बजे होनी थीजैसा  वे पहले दे रहा था।
आज रेहु ने अकेले बेटकर रिवीजन भी नहीं किया था। उसे सोचा दोस्तो  के साथ  लफड़बजी की जाए तो वह चला गया परन्तु अपना कोई दोस्त वो नहीं दिखा जबकी परीक्षा सुरू होने वाली थी रेहु का भय लग रहा था अचानक  नीम के पेड़ के नीचे अपने दोस्त नजर आए
दोस्तो के नजदिक गया तो दोस्तो ने पूछा क्यो भी परीक्षा  केसी हुई सबी सवाल कर आए ना। रेही को तो कुछ बोले ना मोका ही नहीं दिया गया रेही कुछ बोलता है से पहले ही दसरा सवाल दाग देना गया, अरे आज तुम अलग सेंटर मैं क्यादिखाई   नहीं दिए।
रेहु को लगा सबी उसके मजे ले रे जब उसे पास बेथे दोस्त के परीक्षा बोर्ड पर  प्रश्न पत्र देखा तो पता चला परीक्षा 9:30 पूर्वाह्न बजे थी
रेह ने अपना मोबाइल निकला और नाटक करता हुआ व्हा से निकल गया सुभा 4:30 बजे का उठा हुआ रेहु अब जाग  चुका था।                                                             

.₹300

 राकेश को आज फिर नौकरी ढूंढने की कुल बुला हट उठी और वह जिला पुस्तकालय से निकल   पड़ा  यूं तो  राकेश 5 महीने से दर-दर की ठोकरें खा रहा था नौक...